Exam Mantra

Exam Material, Education, Health tips, Earn money, Entertainment, Diseases Cricket News

Exam Mantra, Exam, Health, Blog, Breaking news,Technology

रविवार, 12 अक्टूबर 2025

अक्टूबर 12, 2025

करेंट अफेयर्स 2024 -2025 (Currents Affairs 2024-2025)


           करेंट अफेयर्स  2024 -2025 (Currents Affairs 2024-2025)



एशिया कप 2025 का टाइटल किस टीम ने जीता- भारत

वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 का आयोजन कहाँ किया गया- नई दिल्ली

फीफा विश्व कप 2026 के शुभंकर का अनावरण किया गया, इसका आयोजन कहाँ किया जायेगा- US, कनाडा और मेक्सिको

कोल्ड डेजर्ट बायोस्फीयर रिजर्व यूनेस्को के विश्व बायोस्फीयर रिजर्व नेटवर्क में शामिल हुआ, यह किस राज्य में स्थिओत है- हिमाचल प्रदेश 

एशिया कप 2025 में प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट का अवार्ड किस भारतीय ने जीता- अभिषेक शर्मा 

एशिया कप 2025 में एमवीपी (MVP) का अवार्ड किसने जीता- कुलदीप यादव

एशिया कप 2025 में प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट का अवार्ड किस भारतीय ने जीता- अभिषेक शर्मा

क्विंटन डि कॉक ने किस फॉर्मेट से संन्यास वापस लिया है- वनडे 

ग्लोबल फूड रेगुलेटर्स समिट (GFRS) 2025 का लोगो किसने जारी किया- केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा

हाल ही में बंगाल क्रिकेट संघ के नए अध्यक्ष कौन बने है-सौरव गांगुली  

वर्ष 2025 में नियंत्रक जनरल ऑफ कम्युनिकेशन अकाउंट्स (CGCA) का पदभार किसने संभाला- वंदना गुप्ता

केन्द्रीय कैबिनेट ने बिहार में बख्तियारपुर-राजगीर-तिलैया एकल रेलवे लाइन खंड के दोहरीकरण के लिए कितने करोड़ आवंटित किये-  2,192 करोड़

वर्ल्ड फूड इंडिया (WFI) 2025 का आयोजन कहाँ किया जा रहा है- नई दिल्ली 

हाल ही में भारत को किस समिति का सदस्य चुना गया- इंटरपोल एशियन कमेटी 

हाल ही में किसे FSSAI का सीईओ नियुक्त किया गया- रजित पुन्हानी

दुर्लभ यूरोपीय पक्षी आर्टोलन बाटिंग को हाल ही में पश्चिम बंगाल के बरूईपुर मैं देखा गया। 

अभ्यास कोकण 25 भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच आयोजित किया जाता है।

सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों आटीआई के आधुनिकरण के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू की गई पीएम सेतु योजना।

हाल ही में खबरों में रहा कर्णक मंदिर मिस्र देश मे स्थित है।

इंडिया मोबाइल कांग्रेस IMC 2025 का नया संस्करण नई दिल्ली में आयोजित किया गया। 

दूसरा पनडुब्बी रोड़ी युद्ध पोत विशाखापट्टनम आंध्रप्रदेश में तैनात किया गया।

हाल ही में नेसोलिक्स बानाबिताने नामक एक नई ततैया प्रजाति की खोज पश्चिम बंगाल में की गई। 

हाल ही में खबरों में रही क्रोहन रोग एक पुरानी सूजन आत्र रोग है।

पीएम कुसुम योजना का नोडल मंत्रालय नवीन और नवीनीकरण ऊर्जा मंत्रालय है। 

ब्रिजोंपोरस कनाडी कवक की खोज अरुणाचल प्रदेश में की गई है।








शुक्रवार, 26 सितंबर 2025

शनिवार, 18 नवंबर 2023

रविवार, 22 मई 2022

मई 22, 2022

यूपी सरकार की गाइडलाइन, राशन कार्ड न होगी रिकवरी, न होंगे निरस्त।

 यूपी सरकार ने रविवार को साफ किया है कि प्रदेश में राशन कार्ड सरेंडर करने अथवा उनके निरस्तीकरण के सम्बन्ध में कोई नया आदेश जारी नहीं किया गया है. मीडिया पर इस संबंध में प्रसारित भ्रामक व तथ्यों से परे खबरों का खण्डन करते हुए राज्य के खाद्य आयुक्त सौरव बाबू ने कहा कि राशनकार्ड सत्यापन एक सामान्य प्रक्रिया है जो समय-समय पर चलती है.
उन्होंने कहा कि राशन कार्ड सरें
डर करने और पात्रता की नई शर्तों के संबंध में आधारहीन प्रचार हो रहा है. सत्यता यह है कि पात्र गृहस्थी राशनकार्डों की पात्रता/अपात्रता के सम्बन्ध में सात अक्टूबर, 2014 के शासनादेश के मानक निर्धारित किए गए थे जिसमें वर्तमान में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है. 
उन्होंने कहा कि सरकारी योजनान्तर्गत आवंटित पक्का मकान, विद्युत कनेक्शन, एक मात्र शस्त्र लाइसेंस धारक, मोटर साइकिल स्वामी, मुर्गी पालन/गौ पालन होने के आधार पर किसी भी कार्डधारक को अपात्र घोषित नहीं किया जा सकता है. इसी प्रकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 तथा प्रचलित शासनादेशों में अपात्र कार्डधारकों से वसूली जैसी कोई व्यवस्था भी निर्धारित नहीं की गई है और रिकवरी के सम्बन्ध में शासन स्तर से अथवा खाद्यायुक्त कार्यालय से कोई भी निर्देश निर्गत नहीं किए गए हैं

मंगलवार, 3 मई 2022

मई 03, 2022

ऑनलाइन भारतीय डाक सेवक भर्ती


                                       भारतीय डाक सेवक भर्ती 2022 

  1. 38,926 ग्रामीण डाक सेवक (जीडीएस) बीपीएम/एबीपीएम/ डाक सेवक के रूप में। आवेदन

4. पात्रता- दसवीं पास

आयु
1. न्यूनतम आयु: 18 वर्ष
2. अधिकतम आयु: 40 वर्ष
3. आयु का निर्धारण जमा करने की अंतिम तिथि के अनुसार किया जाएगा
अधिसूचना के अनुसार आवेदन।
4. विभिन्न श्रेणियों के लिए ऊपरी आयु सीमा में अनुमत छूट हैं

कुल पद -38926 


राज्य -उतर प्रदेश,बिहार,उत्तराखंड,दिल्ली,राजस्थान ,मध्य प्रदेश, पंजाब, झारखण्ड,हरियाणा , हिमाचल प्रदेश। 

                   अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पे क्लिक करे। 


बुधवार, 6 अप्रैल 2022

अप्रैल 06, 2022

कैसे जाने आधार से कौन मोबाइल नम्बर जुड़ा है या नहीं जुड़ा है

अगर जानना चाहते हैं कि मोबाइल से आधार नंबर जुड़ा है या नहीं जुड़ा है तो इसके लिए आपके पास आधार नंबर होना चाहिए बस आधार नंबर डालते ही पता चल जाएगा क्या आपके आधार में कौन सा मोबाइल नंबर जुड़ा है।  

बुधवार, 23 फ़रवरी 2022

फ़रवरी 23, 2022

किस विटामिन की कमी से पैर में दर्द होता है?

वैसे देखा जाए तो मानव शरीर के सारे अंग महत्वपूर्ण है। लेकिन यहाँ पर हमारे शरीर का एकमात्र ऐसा अंग ह जो शरीर का पूरा भार उठाता है, और वो अंग है पैर। जब भी हमारे शरीर मे कोई समस्या आती है तो इस बातों का संकेत हमें पैर द्वारा मिला करता है। वैसे देखा जाए तो आजकल के समय में पैर दर्द होना बहुत ही आम बात हो चुकी है।

 


यदि हम महिलाओं की बात करें तो 80% महिलाएं पैर से जुड़ी किसी न किसी समस्या का शिकार होती है। पैर में मोच आना पैर की हड्डियों में दर्द होना आजकल बहुत ही आम बात हो चुकी है। पैर दर्द होने के कारण आजकल कई लोग पेनकिल्लर की दवाई खाते हैं। लेकिन इस तरह की दवाई का ज्यादा मात्रा में सेवन करने से हानी भी पहुंच सकती हैं। इसीलिए ऐसी दवाइयों का अधिक मात्रा में सेवन ना करें।

खैर अब हम आते हैं अपनी सवाल की तरफ किस विटामिन की कमी से पैर में दर्द होता है। शरीर में "विटामिन डी" की कमी से पैरों में दर्द की समस्या आती है। विटामिन डी की कमी से हड्डियों के विकास में रुकावटे पैदा होती है जिस वजह से हमारे पैर रात को सोते समय बहुत ज्यादा दर्द करते हैं। विटामिन डी की कमी से पैरों की समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती चली जाती है इसीलिए इसे नजरअंदाज करना आपको भारी पड़ सकता है।

ऐसी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए आपको विटामिन डी से भरे उपयुक्त पदार्थों का सेवन करना चाहिए। इसके साथ ही सुबह के धूप में थोड़ी देर जरूर चले। मछली, दूध, पनीर, अंडे इन सब में विटामिन डी पाया जाता है तो इनका सेवन जरूर करें, जिससे आपको पैर दर्द की समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।

< इसे भी पढ़े

गुरुवार, 15 जुलाई 2021

जुलाई 15, 2021

UPSSSC PET भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन

                  भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन 
                  UPSSSC PET   -05 अंक 

नमस्कार ,दोस्तों  जैसा की आप सभी लगभग  जानते है की UPSSSC PET में पांच अंक भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन से आएंगे तो चलिए पढ़ते है  कौन  से प्रश्न आएंगे और कितने महत्वपूर्ण है। 


भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना (1885 .)

एलन ऑक्टोवियन ह्युम नामक एक अवकाश प्राप्त ब्रिटिश अधिकारी ने भारतीय नेताओं के सहयोग से 28 दिसंबर, 1885 को मुंबई मेँ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की।

  • मुंबई मेँ आयोजित कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन की अध्यक्षता व्योमेश चंद्र बनर्जी ने की। इस अधिवेशन मेँ मात्र 72 प्रतिनिधियोँ ने भाग लिया।
  • प्रारंभ में ब्रिटिश सरकार ने कांग्रेस को अपना सुरक्षा कवच समझकर सहयोग दिया, किन्तु बाद जब कांग्रेस ने जब वैधानिक सुधारों की मांग रखी तो अंग्रेजों का कांग्रेस से मोह भंग हो गया।
  • 1885 मेँ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के साथ ही एक अखिल भारतीय राजनीतिक मंच का जन्म का हुआ।
  • इसी के साथ विदेशी शासन से भारत की स्वतंत्रता का संघर्ष एक संगठित के रुप से प्रारंभ हुआ।
  • कांग्रेस के जन्म के साथ ही भारतीय इतिहास मेँ एक नया युग आरंभ हुआ। छोटे-छोटे विद्रोही दलों तथा स्थानीय दलों आदि सभी ने अपने को कांग्रेस मेँ विलीन कर लिया।
  • कांग्रेस ने आरंभ से ही एक पार्टी नहीँ वरन् एक आंदोलन का काम किया। यह आंदोलन भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के नाम से जाना जाता है।

बंगाल विभाजन एवं स्वदेशी आंदोलन (1905 से 1906 .)

  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के साथ ही संपूर्ण भारत के लोग ब्रिटिश शासन के विरुद्ध एक राष्ट्रीय मुख्यधारा मेँ शामिल होते जा रहै थे। बंगाल तब भारतीय राष्ट्रवाद का प्रधान केंद्र था।
  • तत्कालिक बंगाल मेँ आधुनिक बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल तथा बांग्लादेश आते थे। लार्ड कर्जन ने प्रशासनिक सुविधा का बहाना बनाकर बंगाल को दो भागोँ मेँ बांट दिया।
  • बंगाल विभाजन की सर्वप्रथम घोषणा 3 दिसंबर 1903 को की गई। यह 16 अक्टूबर 1905 को लागू हुआ। राष्ट्रीय नेताओं ने विभाजन को भारतीय राष्ट्रवाद के लिए एक चुनौती समझा।
  • बंगाल के नेताओं ने इसे क्षेत्रीय और धार्मिक आधार पर बांटने का प्रयास माना। अतः इस विभाजन का व्यापक विरोध हुआ तथा 16 अक्टूबर को पूरे देश मेँ शोक दिवस के रुप मेँ मनाया गया।
  • हिंदू मुसलमानोँ ने अपनी एकता प्रदर्शित करते हुए एक बहुत ही तीव्र आंदोलन 7 अगस्त 1905 से चलाया।
  • स्वदेशी तथा बहिष्कार आंदोलन की उत्पत्ति बंगाल विभाग विभाजन विरोधी आंदोलन के रुप मेँ हुई।
  • इसके अंतर्गत अनेक स्थानोँ पर विदेशी कपड़ोँ की होली जलाई गई और विदेशी कपड़े बेचने वाली दुकानोँ पर धरने दिए गए।
  • इस प्रकार बंगाल के नेताओं ने बंगाल विभाजन विरोधी आंदोलन को स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन के रुप मेँ परिवर्तित कर इसे राष्ट्रीय स्तर पर व्यापकता प्रदान की।

उग्र और क्रांतिकारी आंदोलन (1905 ई. से 1914 .)

  • बंग बंग विरोधी आंदोलन का नेतृत्व तिलक बिपिन चंद्र पाल और अरविंद घोष जैसे नेताओं के हाथों मेँ आना ही राष्ट्रवादियोँ के उत्कर्ष का प्रतीक था। सरकारी दमन और जनता को कुशल नेतृत्व देने मेँ नेताओं की असफलता के कारण उपजी कुंठा ने क्रांतिकारी आंदोलन को जन्म दिया।
  • क्रांतिकारी युवकों अनेक गुप्त संगठन, जैसे-अनुशीलन समिति, अभिनव भारत, मित्र मेला, आर्य बांधव समाज आदि बनाये।
  • बंगाल, मद्रास, महाराष्ट्र मेँ ही नहीँ वरन कनाडा, अमेरिका, जर्मनी, सिंगापुर आदि देशोँ मेँ भी अनेक क्रांतिकारी दल स्थापित हो गए।
  • गदर पार्टी भी एक ऐसा ही दल था जिसकी स्थापना सान फ्रांसिस्को मेँ लाला हरदयाल सिंह और भाई परमानंद आज क्रांतिकारियों ने 1913 मेँ की थी।
  • यद्यपि गदर पार्टी का यह अभियान असफल रहा, फिर भी उसने अमेरिका मेँ भारतीय स्वाधीनता के लिए प्रचार कार्य जारी रखा।

लखनऊ समझौता (1916)


  • वर्ष 1914 में तिलक, जो मांडले जेल से लौटने के बाद समझौतावादी हो गए थे, तथा एनी बेसेंट ने मिलकर कांग्रेस के दोनो गुटों को नजदीक लाने का प्रयास किया। देश मेँ बढ़ रही राष्ट्रवादी भावना और राष्ट्रीय एकता की आकांक्षा के कारण 1916 मेँ कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन मेँ ऐतिहासिक महत्व की दो घटनाएँ हुई।
  • पहली यह कि कांग्रेस के दोनो धड़े फिर से एक हो गए। इस अधिवेशन की दूसरी महत्वपूर्ण उपलब्धि यह थी कि अपने पुराने मतभेद भुलाकर कांग्रेस और मुस्लिम लीग ने सरकार के समक्ष एकता प्रदर्शित करते हुए साझी राजनीतिक मांगे रखी।

रौलेट एक्ट और जलियांवाला बाग हत्याकांड (1917 से 1919 .)

  • प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति पर, जब भारतीय जनता संवैधानिक सुधारोँ की उम्मीद कर रही थी तो ब्रिटिश सरकार ने दमनकारी रौलेट एक्ट को जनता के सम्मुख प्रस्तुत किया।
  • रौलेट एक्ट के द्वारा सरकार को यह अधिकार प्राप्त हुआ कि, वह किसी भी भारतीय पर अदालत मेँ बिना मुकदमा चलाए और दंड दिए बिना ही जेल मेँ बंद कर सके।
  • 1919 मेँ रौलेट एक्ट के विरोध मेँ गांधी जी ने पहली बार एक अखिल भारतीय सत्याग्रह आंदोलन का आरंभ किया।
  • सरकार इस जन आंदोलन को कुचल देने पर उतारु थी उसने निहत्थे  प्रदर्शनकारियों को ऐसे कुचलने का प्रयास किया, जिसने दमन के इतिहास मेँ नये अध्याय जोड़े हैं। दमनात्मक नीतियों तथा डॉ. सैफुद्दीन किचलू और डॉ. सत्यपाल जैसे लोकप्रिय नेताओं की गिरफ़्तारी के विरोध में अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ मेँ एक सभा का आयोजन किया गया।
  • जनरल डायर ने सभा के आयोजन को सरकारी आदेशोँ की अवहेलना माना तथा सभा स्थल को सशक्त सैनिको के साथ घेर लिया और बिना किसी पूर्व चेतावनी के शांतिपूर्ण ढंग से चल रही सभा पर गोलियाँ चलाने का आदेश दे दिया।
  • इस घटना मेँ एक हजार से अधिक लोग मारे गए जिसमेँ युवा, महिलाएँ, बूढ़े, बच्चे सभी शामिल थे। यह घटना आधुनिक भारतीय इतिहास मेँ जलियावाला कांड हत्या कांड के नाम से प्रसिद्द है।
  • इस घटना के विरोध मेँ रवींद्रनाथ टैगोर ने ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रदान की गई नाइटहुड की उपाधि वापस कर दी तथा सर शंकरन नायर ने गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी परिषद से त्याग पत्र दे दिया।

खिलाफत आंदोलन (1919 .)

  • प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति पर भारतीय मुसलमान तुर्की के प्रति होने वाले व्यवहार से क्षुब्ध थे। युद्ध के दौरान ब्रिटिश प्रधानमंत्री लॉयड जॉर्ज ने दो आश्वासन दिए थे – 1. युद्धोपरांत तुर्की को आत्मनिर्णय का अधिकार होगा, 2. वहां के खलीफा की स्थिति के बारे मेँ ब्रिटेन कोई हस्तक्षेप नहीँ करेगा। युद्ध के पश्चात ब्रिटिश सरकार इन वादों से मुकर गई।
  • ऐसी स्थिति मेँ भारतीय मुसलमानोँ का असंतोष अपने चरम पर था। महात्मा गांधी के आहवान पर हिंदुओं ने भी मुसलमानोँ का साथ दिया। 1919 में डॉ. अंसारी के नेतृत्व मेँ एक शिष्टमंडल वायसराय से मिलने भेजा गया, परंतु इसका कोई परिणाम नहीँ निकला।
  • मई, 1920 मेँ अखिल भारतीय खिलाफत समिति की स्थापना की गई। इस समिति ने अपने कार्यक्रम मेँ सरकार के विरुद्ध असहयोग की नीति अपनाई।
  • दिसंबर, 1920 मेँ कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन मेँ विजय राघवाचारी की अध्यक्षता मेँ स्वराज के साथ खिलाफत का प्रश्न भी जोड़ दिया गया।

असहयोग आंदोलन (1920 ई.)

  • प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् आत्मनिर्णय की भावना को बल मिला इसके साथ ही रौलेट एक्ट, जलियांवाला बाग हत्याकांड, पंजाब मेँ मार्शल ला तथा खिलाफत के विवाद आदि घटनाओं से अंग्रेजों के प्रति भारतीय दृष्टिकोण मेँ व्यापक परिवर्तन आया।
  • जनता इन घटनाओं के लिए सरकार से खेद प्रकट करने की अपेक्षा कर रही थी। इसके विपरीत परिस्थितियोँ मेँ आंदोलन के एक और चक्र के प्रारंभ के लिए वह तैयार थी।
  • 1920 मेँ नागपुर मेँ आयोजित कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन, जिसकी अध्यक्षता विजय राघवाचारी कर रहै थे, मेँ असहयोग आंदोलन का अनुमोदन कर दिया गया।
  • सरकार ने इस आंदोलन को कुचलने के लिए दमनात्मक नीति का सहारा लिया आंदोलन के स्वरुप मेँ स्थान परिवर्तन के साथ-साथ भिन्नता आई।
  • 5 फरवरी 1922 को चौरी-चौरा नामक गाँव मेँ तीन हजार किसानो के एक कांग्रेसी जुलूस पर पुलिस ने गोली चलाई। किसानो की खुद भीड़ ने थाने पर हमला करके थाने मेँ आग लगा दी। जिसमें 22 पुलिसकर्मी मारे गए।
  • गांधीजी चूँकि हिंसा मेँ विश्वास नहीँ करते थे, इसलिए उनहोने 12 फरवरी 1922 को बारदोली मेँ हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक मेँ असहयोग आंदोलन को वापस लेने का निर्णय किया।

सविनय अवज्ञा आंदोलन

  • फ़रवरी 1930 मेँ साबरमती आश्रम मेँ कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक मेँ सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाने की संपूर्ण शक्ति महात्मा गांधी के हाथ मेँ सौंप दी गई।
  • गांधीजी ने 31 जनवरी, 1930 को लार्ड इरविन के समक्ष अंतिम चेतावनी के रुप मेँ अपनी 11 सूत्री मांग रखी, जिसे अस्वीकार किए जाने पर सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ करने की चेतावनी दी।
  • लॉर्ड इरविन द्वारा 11 सूत्री मांगोँ को अस्वीकार कर दिया जाने के बाद गांधी जी के समक्ष आंदोलन शुरु करने के अतिरिक्त और कोई चारा नहीँ था।
  • गांधी जी ने 12 मार्च, 1930 को अपने चुने हुए 78 स्वयं सेवको के साथ दांडी के लिए यात्रा शुरु की। 24 दिनोँ मेँ दांडी पहुंचकर महात्मा गांधी ने 6 अप्रैल को नमक कानून का उल्लंघन किया।
  • बंगाल मेँ मानसून के आगमन की वजह से नमक बनाना कठिन था, अतः वहां यह आंदोलन चौकीदारी विरोधी तथा यूनियन बोर्ड विरोधी आंदोलन के रुप मेँ चलाया गया।
  • महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा मध्य प्रांत मेँ जंगल कानूनो कथा असम मेँ कनिंघम सर्कुलर, जिसके अंतर्गत छात्रों तथा उनके परिजनोँ को चारित्रिक प्रमाणपत्र प्राप्त प्रस्तुत करने होते थे, का विरोध प्रारंभ हुआ।
  • निर्ममता पूर्वक दमन के बाद भी यहाँ आंदोलन की तीव्र गति को देख कर लार्ड इरविन ने महात्मा गांधी से समझौते का प्रयास किया। सरकार द्वारा यह आश्वासन दिए जाने पर कि हानि उठाने वालोँ को हर्जाना मिलेगा। 5 मार्च, 1931 को गांधी इरविन समझौते के बाद आंदोलन वापस ले लिया गया।

गाँधी इरविन समझौता

  • 5 मार्च 1931 को गाँधी और इरविन के मध्य एक समझौता हुआ, जिसे गांधी-इरविन समझौता के नाम से जाना जाता है।
  • इस समझौता के तहत लार्ड इरविन ने निम्न आश्वासन दिया –
  1. सभी राजनीतिक बंदियोँ को रिहा किया जाएगा।
  2. आपातकालीन अध्यादेशों को वापस ले लिया जाएगा।
  3. आंदोलन के दोरान जब्त की गई संपत्ति उनके स्वामियों को वापस कर दी जाएगी तथा जिनकी संपत्ति नष्ट हो गई हो, उन्हें हर्जाना दिया जाएगा।
  4. समुद्र तट के निकट रहने वाले लोगोँ को अपने इस्तेमाल के लिए बिना कोई कर दिए नमक एकत्र करने तथा बनाने दिया जाएगा।
  5. सरकार मादक द्रव्योँ तथा विदेशी वस्तुओं की दुकानोँ पर शांतिपूर्ण धरना देने वालोँ को गिरफ्तार नहीँ करेगी।
  6. जिन सरकारी कर्मचारियोँ ने आंदोलन के दौरान नौकरी से त्यागपत्र दिया था, उन्हें नौकरी मेँ वापस लेने मेँ सरकार उदार नीति अपनायेगी।

पूना समझौता (1932 .)

  • सितंबर 1932 मेँ गांधी जी और अंबेडकर के बीच एक समझौता हुआ, जिसे पूना समझौता के नाम से जाना जाता है।
  • इस समझौते मेँ सभी अल्पसंख्यक समुदायोँ, हरिजनोँ, मुसलमानोँ, सिखों आदि के लिए संघीय विधान परिषद मेँ पृथक निर्वाचक मंडल की व्यवस्था थी।
  • इसके तहत मुसलमान केवल मुसलमानोँ द्वारा, सिख केवल सिक्खों द्वारा तथा अन्य अल्पसंख्यक समुदाय केवल अपने समुदाय द्वारा चुने जा सकते थे।
  • गांधीजी, जो उस समय यरवदा जेल मेँ बंदी थे, ने इसे भारतीय एकता तथा राष्ट्रवाद पर चोट की संज्ञा दी। उन्होंने इस निर्णय को वापस ना लिए जाने की स्थिति मेँ 20 सितंबर, 1932 को आमरण अनशन प्रारंभ कर दिया।
  • इस समझौते के तहत् दलित वर्ग के लिए एक पृथक निर्वाचक मंडल की व्यवस्था वापस ले ली गयी।
  • पूना समझौते के सांप्रदायिक निर्णय द्वारा हिंदुओं से हरीजनोँ को पृथक करने के सरकारी प्रयास को विफल कर दिया गया।

भारत छोड़ो आंदोलन 1942

  • 14 जुलाई, 1942 को कांग्रेस कार्यकारिणी ने वर्धा मेँ एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें अंग्रेजो को भारत से चले जाने के लिए कहा गया था, तथा यह कहा गया कि यदि यह अपील स्वीकृत नहीँ होती है तो कांग्रेस एक सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाने के लिए बाध्य हो जाएगी।
  • पूरे देश मेँ कारखानो, स्कूल और कॉलेजों मेँ हड़तालें और कामबंदी हुई, जिन पर लाठीचार्ज और गोलियां चलाई गयीं।
  • बार बार की गोलीबारी और दमन से क्रुद्ध होकर जनता ने अनेक जगहोँ पर हिंसक कार्यवाहियों भी की। जनता ने पुलिस थानोँ, डाकखानों, रेलवे स्टेशनों आदि ब्रिटिश शासन के तमाम प्रतीको पर हमले किए।
  • उत्तरी और पश्चिमी बिहार और पूर्वी संयुक्त प्रांत,बंगाल में मिदनापुर, महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा उड़ीसा के कुछ हिस्से आन्दोलन के प्रमुख केंद्र रहे, जिसमे बलिया, तामलुक, सतारा आदि स्थानों पर समानांतर सरकारों की स्थापना की गई, जो प्रायः दीर्घजीवी सिद्ध नहीं हुई।

सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज

  • रास बिहारी बोस ने जापान मेँ इंडियन इंडिपेंडेंस लीग की स्थापना की। इसके बाद 11 सितंबर 1941 को उन्होंने इंडियन नेशनल आर्मी की स्थापना की।
  • 18 फरवरी, 1942 को मोहन सिंह इस सेना के जनरल बनाये गए। जब सुभाष चंद्र बोस अप्रैल, 1943 मेँ पहुंचे तो जुलाई, 1943 को राज बिहारी बोस ने इंडियन इंडिपेंडेंस लीग और आजाद हिंद फौज की अध्यक्षता से इस्तीफा दे दिया और सुभाष चंद्र बोस को इनका दायित्व सौंप दिया गया।
  • सुभाष चंद्र बोस सिंगापुर लौट गए वहां उन्होंने 21 अक्टूबर 1943 को स्वतंत्र भारत की अस्थाई सरकार की स्थापना की तथा रंगून और सिंगापुर को मुख्यालय बनाया गया।
  • 1945 मेँ जापान की युद्ध मेँ पराजय ने भारत को आजाद कराने की आशाओं पर पानी फेर दिया। फ़ौज  के अधिकांश सेनिक बंदी बना लिया गए। जब इन सैनिकों को पर मुकदमे चलने लगे तो इन्हें जनता का भारी समर्थन मिला।
  •  जवाहरलाल नेहरु, तेज बहादुर सप्रू तथा भूलाभाई देसाई ने इन सैनिकों की पैरवी की। जनदबाव मेँ सरकार को झुकना पड़ा।
  • सुभाष चंद्र बोस ने दिल्ली चलो का विख्यात नारा तथा अपने अनुयायियोँ को जय हिंद का मूल मंत्र दिया।
  • द्वितीय विश्व युद्धोत्तर  भारत मेँ लोगोँ की चेतना और राष्ट्रीय भावना का उद्वेलन करने मेँ आजाद हिंद फौज की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
समिति आयोगकार्य क्षेत्र
पेल्वी आयोगधन निकासी के मामले की जाँच
इंडियन स्टे्टरी समितिकेन्द्रीय प्रांतीय सरकारों की राजस्व मदों का विभाजन
फ्लउड आयोग – 1940कृषक व भूमि मालिक के बीच उत्पादन का विभाजन
टॉमसन योजना – 1843देशी भाषा में शिक्षा देने की सिफारिश
वुड डिस्पैच – 1854शिक्षा प्रणाली में सुधार
हंटर आयोग – 1882-83प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा में सुधार
ले आयोग – 1902विश्वविद्यालयी शिक्षा में सुधार
हर्टोग आयोग – 1929प्राथमिक शिक्षा के राष्ट्रीय महत्त्व पर जोर
सैडलर आयोग – 1917-19महिला शिक्षा के लिए स्वायत्त संस्थाओं की स्थापना
सार्जेन्ट आयोग – 1944राष्ट्रीय शिक्षा की योजना

शिमला समझौता तथा वेवेल योजना

  • अक्टूबर 1940 मेँ लॉर्ड लिनलिथगो के स्थान पर लार्ड वेवेल भारत के वायसराय तथा गवर्नर बने। उन्होंने भारतीय संवैधानिक गतिरोध को समाप्त करने के उद्देश्य से एक विस्तृत योजना बनाई, जो उनके नाम पर वेवेल योजना के नाम से जानी जाती है। वेवेल योजना की घोषणा 14 जून, 1945 को की गई। योजना के मुख्य प्रावधान निंलिखित थे।
  1.  ब्रिटिश शासन राजनीतिक गतिरोध को समाप्त करके भारत को स्वशासन के लक्ष्य की ओर अग्रसर करना चाहता है।
  2. वायसराय कार्यकारिणी परिषद का गठन इस तरह किया जाए कि, वायसराय तथा प्रधान सेनापति को छोडकर शेष सदस्य भारतीय हों।
  3. कार्यकारी परिषद मेँ हिंदू तथा मुसलमान सदस्योँ की संख्या बराबर होगी।
  4. विदेश विभाग भारतीय सदस्योँ के हाथ मेँ होगा।
  5. एक ब्रिटिश उच्चायुक्त की नियुक्ति की जाएगी, जो भारतीय वाणिज्य तथा दूसरे हितो की देखभाल करेगा।
  6. नई कार्यकारिणी परिषद 1935 के अधिनियम के तहत कार्य करेगी।
  7. भारत सचिव शक्ति को सीमित किया जाएगा, जबकी वायसराय के वीटो के अधिकार को बरकरार रखा जाएगा। 

कैबिनेट मिशन योजना 1946

  • वेवेल योजना और शिमला शिमला समझौता दोनो के विफल हो जाने के पश्चात भारत मेँ राजनीतिक गतिरोध को दूर करने के लिए कैबिनेट मिशन को भारत भेजा गया।
  • इस शिष्टमंडल मेँ तीन सदस्य थे – पैथिक लॉरेंस, सर स्टेफोर्ड क्रिप्स और ए. वी. अलेक्जेंडर। यह शिष्टमंडल 24 मार्च, 1946 को दिल्ली पहुंचा।
  • भारत के विभिन्न राजनीतिक दलो से लंबी बातचीत के बाद एक त्रिपक्षीय सम्मेलन, सरकार, कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग के बीच शिमला मेँ आयोजित किया गया।
  • कैबिनेट मिशन ने इस बात को स्पष्ट कर दिया था कि उसका उद्देश्य संविधान का निर्धारण करना नहीँ है, बल्कि उस तंत्र को सक्रिय बनाना है, जिसके द्वारा भारतीयों के लिए संविधान तय किया जा सके।
  • कैबिनेट मिशन योजना का महत्व इस बात मेँ नहीँ था कि इसमें भारतीय एकता को सुरक्षित रखा गया था तथा पाकिस्तान की मांग को स्पष्ट रुप से अमान्य कर दिया गया था।

अंतरिम सरकार का गठन (1946 ई.)

  • जवाहरलाल नेहरु के नेतृत्व मेँ उनके 11 सहयोगियोँ के साथ 2 सितंबर 1946 को अंतरिम सरकार का गठन किया गया। इस मेँ मुस्लिम लीग के सदस्य शामिल नहीँ हुए।
  • मुस्लिम लीग ने कांग्रेस लीग की समानता पर बल दिया। ऐसा न करने पर उसने कैबिनेट मिशन योजना को ठुकरा दिया।
  • आरंभ मेँ मुस्लिम लीग सरकार मेँ शामिल नहीँ हुई थी, परन्तु वायसराय के प्रयासों से वह 26 अक्टूबर 1946 को सरकार मेँ शामिल हुई। सरकार मेँ उसके 5 सदस्य थे – लियाकत अली, गजनफ़र अली, चंद्रीगर, अब्दुल, खनश्तर, तथा योगेंद्र नाथ मांडल।

एटली की घोषणा

  • कांग्रेस लीग टकराव संविधान सभा की बैठक मेँ लीग के भाग न लेने  तथा उसके द्वारा चलाए जा रहे प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस के परिणाम स्वरुप भारत मेँ दंगे विकराल रुप धारण करते जा रहै थे।
  • राजनीतिक गतिरोध को दूर करने के लिए ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री एटली ने 20 फरवरी, 1947 को घोषणा की, कि ब्रिटिश  सरकार जून 1947 के पूर्व सत्ता भारतीयोँ को सौंप देगी।
  • ब्रिटिश संसद मेँ यद्यपि इस घोषणा की काफी आलोचना हुई परंतु अंततः स्वीकृत हो गई।
  • इसी घोषणा के साथ सत्ता का सफलतापूर्वक हस्तांतरण करने के लिए लॉर्ड माउंटबेटन को भारत भेजा गया।

 माउंटबेटन योजना (जून 1947)

  • मार्च 1947 मेँ लार्ड माउंटबेटन को भारत का वायसराय बनाकर भेजा गया।
  • लार्ड माउंटबेटन ने भारत और पाकिस्तान के बीच बंटवारे के प्रश्न पर कांग्रेस और मुस्लिम लीग के नेताओं के साथ बातचीत करके एक योजना तैयार की जिसे माउंटबेटन योजना के नाम से जाना जाता है।
  • माउंटबेटन द्वारा इस योजना की घोषणा 3 जून, 1947 को की गई, जिसमे हस्तांतरण की प्रक्रिया को सुगम बनाने तथा दोनों मुख्य संप्रदायोँ का समायोजन करने के लिए देश को दो भागोँ – भारत और पाकिस्तान मेँ विभाजित करने का परामर्श दिया गया।
  • इस योजना के द्वारा यह निर्णय लिया गया कि 15 अगस्त, 1947 को भारत और पाकिस्तान को सत्ता का हस्तांतरण डोमिनियन स्टेटस के आधार पर कर दिया जाएगा।
  • कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग सहित सभी दलो ने इस योजना को अपनी स्वीकृति दे दी। इसके उपरांत ब्रिटिश संसद मेँ किस योजना को कार्य रुप देने के लिए एक विधेयक पारित किया गया।

सत्ता का हस्तांतरण भारत स्वतंत्रता अधिनियम, 1947

  • माउंटबेटन की योजना के आधार पर ब्रिटिश संसद मेँ एक विधेयक 4 जुलाई, 1947 को प्रस्तुत किया गया। यह विधेयक 18 जुलाई 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम के रुप मेँ पारित हुआ। इसकी प्रमुख बातेँ निम्नलिखित थी-
  1. 15 अगस्त 1947 को दो स्वतंत्र अधिराज्यों भारत तथा पाकिस्तान की स्थापना की जाएगी।
  2. नए संविधान के बनने और लागू होने तक वर्तमान संविधान सभायें ही विधानसभाओं के रुप मेँ 1935 के एक्ट के तहत ही कार्य करेंगी।
  3. ब्रिटिश क्राउन का भारतीय रियासतों पर प्रभुत्व समाप्त हो जाएगा।
  4. भारत सचिव का पद समाप्त कर उसके स्थान पर एक राष्ट्रमंडलीय मामलोँ के सचिव की नियुक्ति करने की व्यवस्था की गई।
  5. दोनों राज्योँ के लिए राज्य मंत्रिमंडल के सुझाव पर पृथक गवर्नर जनरल की नियुक्ति की जाएगी।
  • इस अधिनियम द्वारा 15 अगस्त 1947 को भारत को दो स्वतंत्रता डोमिनियनों – भारत तथा पाकिस्तान मेँ बांट दिया गया। पाकिस्तान के प्रथम गवर्नर जनरल मोहम्मद अली जिन्ना बने तथा भारत के लिए माउंटबेटन को ही गवर्नर जनरल बने रहने को कहा गया।

स्मरणीय तथ्य

  • ग्रैंड ओल्ड मेन ऑफ इंडिया के नाम से प्रसिद्ध दादा भाई नौरोजी तीन बार 1886 ई., 1893 ई., 1906 ई.) मेँ कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे।
  • भारतीय क्रांति की माँ (मदर ऑफ इंडियन रेवोलुशन) के नाम से मैडम कामाजी प्रसिद्ध हैं, जबकि बाल गंगाधर तिलक को फादर ऑफ इंडियन अनरेस्ट अशांति का जनक कहा जाता है। ये बात है वैलेंटाइन शिरोल ने कही थी।
  • 1932 के सांप्रदायिक पंचाट (कम्युनल अवार्ड) की घोषणा प्रधानमंत्री रैम्जे मैकडोनाल्ड ने की थी।
  • व्यक्तिगत सत्याग्रह आन्दोलन के दौरान सबसे पहले गिरफ्तार होने वाले सत्याग्रही विनोबा भावे थे।
  • जयप्रकाश नारायण, डॉ राम मनोहर लोहिया एवं श्रीमती अरुणा आसफ़ अली ने भूमिगत होकर भारत छोड़ो आंदोलन का संचालन किया था।
  • 4 मार्च 1931 के गांधी इरविन समझौते मेँ महत्वपूर्ण भूमिका तेज बहादुर सप्रू, डॉ जयंकर व भोपाल के नवाब ने अदा की।


चम्पारण आंदोलन -

बिहार में चंपारण का किसान आंदोलन अप्रैल 1917 में हुआ था. गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह और अहिंसा के अपने आजमाए हुए अस्र का भारत में पहला प्रयोग चंपारण की धरती पर ही किया. यहीं उन्होंने यह भी तय किया कि वे आगे से केवल एक कपड़े पर ही गुजर-बसर करेंगे. इसी आंदोलन के बाद उन्हें 'महात्मा' की उपाधि से विभूषित किया गया। 

खेड़ा आन्दोलन अथवा कर नहीं आन्दोलन -

1918 में महात्मा गांधी ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ गुजरात के खेड़ा में सबसे बड़ा किसान आंदोलन चलाया था। चम्पारण के बाद गांधी जी ने खेड़ा में भी किसानों की बदतर हालत को सुधारने का अथक प्रयास किया।

अहमदाबाद मिल मजदूर भूख हड़ताल -

गाँधी जी ने पहली बार भूख हड़ताल अहमदाबाद मिल मजदूरों के हड़ताल 1918 के समर्थन में की थी। 

रॉलेक्ट एक्ट के खिलाफ आन्दोलन -

गाँधी जी ने रॉलेक्ट एक्ट के खिलाफ 6 अप्रैल 1919 ई० को देशव्यापी हड़ताल करवायी। 

खिलाफत आन्दोलन - 

मार्च 1919 में बम्बई में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया था। मोहम्मद अली और शौकत अली बन्धुओ के साथ-साथ अनेक मुस्लिम नेताओं ने इस मुद्दे पर संयुक्त जनकार्यवाही की सम्भावना तलाशने के लिए महात्मा गांधी के साथ चर्चा शुरू कर दी। सितम्बर 1920 में कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में महात्मा गांधी ने भी दूसरे नेताओं को इस बात पर मना लिया कि खिलाफत आन्दोलन के समर्थन और स्वराज के लिए एक असहयोग आन्दोलन शुरू किया जाना चाहिये। यह आन्दोलन जनवरी 1921 को समाप्त हुआ।

असहयोग आन्दोलन -

रॉलेक्ट एक्ट ,जालियाँवाला बाग हत्याकांड और खिलाफत आंदोलन के उतर में 1 अगस्त।,1920 ई० को असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ किया। मुहम्मद अली को सर्वप्रथम असहयोग आन्दोलन में गिरफ़्तार किया गया। 5 फरवरी ,1922 को चौरी-चौरा नामक स्थान पर आंदोलनकारियो ने क्रोध में आकर थाने में आग लगा दी जिससे एक थानेदार एवं 21 सिपाहियों की मृत्यु हो गयी इस घटना से दुखी होकर गांधीजी ने 11 फ़रवरी ,1922 ई० इस आन्दोलन को स्थगित कर दिया। 


करेंट अफेयर्स 2024 -2025 (Currents Affairs 2024-2025)

             करेंट अफेयर्स  2024 -2025 (Currents Affairs 2024-2025) एशिया कप 2025 का टाइटल किस टीम ने जीता- भारत वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 का आ...